वायरल शायरी: मुझे हर किसी को अपना बनाने का हुनर आता है, तभी मेरे बदन पर रोज़ एक ...
तभी मेरे बदन पर रोज़ एक घाव नया नज़र आता है
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ख़तरे के निशान से ऊपर बह रहा है उम्र का पानी
वक़्त की बरसात है कि थमने का नाम नहीं ले रही।
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ज़रुरतें तो कभी ख़त्म नहीं होती..सुकून ढूंढिये
और वो तो फ़क़ीरों के दर पर ही नसीब होता
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जी चाहता है बंद कर दूं ये शायरियां लिखना...!!
दिल मेरा टुटा है दर्द आप सबको दे रहा हूँ...!!
5
उसे भी मालूम है.... कि लाजवाब हैं हम...!!
फ़िक्र है सब को खुद को सही साबित करने की....
6
अलमारी से मिले हुए बचपन के खिलोने,
मेरी आंखों की उदासी देखकर बोले,
तु्म्हें ही बहुत शौक़ था बड़ा होने का,
7
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में
ज़्यादा भीगना मत...
अगर धुल गईं सारी गलतफहमियां, तो
बहुत याद आएंगे हम...इस झूठी और मतलबी दुनियां में मन नहीं लगता
ए खुदा मुझे उनकी बाहों का दीदार करा दे
8
अरसा बीता, ज़िंदगी बीती...सब कुछ बीता
लेकिन फिर भी...
जो इश्क़ में बीती...वो इश्क़ ही जाने..या जिस पर
बीती वो जाने...
9
कल तक उड़ती थी जो मुंह तक,
आज पैरों से लिपट गई
चंद बूंदें क्या बरसी बरसात की,
धूल की फितरत ही बदल गई...
10
इस झूठी और मतलबी दुनियां में मन नहीं लगता
ए खुदा मुझे उनकी बाहों का दीदार करा दे
(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। इनके रचनाकार का नाम पता नहीं चल सका। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
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