वायरल शायरी: मिले तो हज़ारों लोग थे ज़िंदगी में, पर वो सब से अलग था जो...
1
हर चीज हद में अच्छी लगती है
मगर तुम बेहद अच्छी लगती हो
2
कभी-कभी किसी से ऐसा रिश्ता बन जाता है के
हर चीज से पहले उसी का ख़्याल आता है
3
अपनी ज़िंदगी में मुझ को करीब समझना
कोई ग़म आए तो ग़म शरीक समझना
4
हजार लोग, हजार बातें
सवाल एक, जवाब तुम
5
इश्क़ पर मुक़दमा करके क्या मिला जाएगा
हुस्न को पकड़ो यही फ़साद की जड़ है
6
तुम्हारे वास्ते रखे हैं मैंने दो तोहफ़े
दिल इब्तिदा के लिए जान इंतिहा के लिए
7
तू ज़िंदगी को जी, उसे समझने की कोशिश ना कर
चलते वक़्त के साथ तू भी चल, बदलने की कोशिश ना कर
8
मिले तो हजारों लोग थे जिंदगी में
पर वो सब से अलग था जो क़िस्मत में नहीं था
9
बहुत कहा था तुझसे मुझे अपना न बनाओ
अब अपना बना लिया, तो तमाशा ना बनाओ
10
मैं कतरा-कतरा फ़ना हुई
मैं ज़र्रा-ज़र्रा बिखर गई
ऐ ज़िंदगी तुझसे मिलते-मिलते
मैं अपने आप से बिछड़ गई
(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। इनके रचनाकार का नाम पता नहीं चल सका। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
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