वायरल शायरी: अब तो इतवार में भी कुछ यूं हो गयी है मिलावट...
छुट्टी तो दिखती है पर सुकून नजर नहीं आता
रंजिशे हैं अगर दिल में कोई तो खुलकर गिला करो ।
मेरी फितरत ऐसी है कि मैं फिर भी हँस कर मिलूंगा ।।
यूं तो सब कुछ सलामत है इस दुनिया में ।
बस कुछ रिश्ते टूटे-टूटे से नजर आते हैं ।।
मैं करूं भी तो किस बात का घमंड?
सूरज की रोशनी को भी मैंने रात के साये में ढलते देखा है।।
मसला तो सिर्फ एहसासों का है,जनाब ।
रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते हैं।।
काश ! ऐसी लापरवाही हो जाये मुझसे की ।
मैं अपनी गम की गठरी कहीं भूल जाऊ ।।
ऐ तकदीर,
ला तेरे हाथों की उँगलियाँ दबा दूँ यह,
थक गई होगी मुझे नचाते नचाते ।।
दुनिया उन्हीं की खैरियत पूछती है जो पहले से ही खुश हों ।
जो तकलीफ में होते हैं उनके तो नंबर तक खो जाते हैं ।।
हर रोज, चुपके से, निकल आते हैं नये पत्ते ।
यादों के दरख़्तों में, मैंने, कभी पतझड़ नहीं देखा ।।
यूँ उम्र कट रही है दो अल्फ़ाज़ में ।
एक आस में एक काश में ।।
(ये शायरी इंटरनेट की दुनिया में लोकप्रिय है। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
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