उत्तर- लैन्थेनाइड संकुचन-
लैन्थेनाइडों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ उनके परमाणुओं एवं आयनों के आकार में कमी होती है, इसे लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं।
कारण- लैन्थेनाइडों में आने वाला नया इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कक्ष में न जाकर (1-2)/- उपकोश में प्रवेश करता है, फलतः इलेक्ट्रॉन और नाभिक के मध्य आकर्षण बल में वृद्धि होती है, जिससे परमाणु अथवा आयन संकुचित हो जाता है।
लैन्थेनाइड संकुचन का प्रभाव -
(i) लैन्थेनाइडों के गुणों में परिवर्तन- लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इनके रासायनिक गुणों में बहुत कम परिवर्तन होता है। अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है।
(ii) अन्य तत्वों के गुणों पर प्रभाव- लैन्थेनाइड संकुचन का लैन्थेनाइडों से पूर्व आने वाले तथा इनके बाद आने वाले तत्वों के आपेक्षिक गुणों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, Ti और Zr के गुणों में भिन्नता होती है, जबकि Zr और Hf गुणों में काफी समानता रखते हैं।
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